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|| लोढा की कुलदेवी ||

श्री बड़माताजी मंदिर संस्थान, भड़ाणा,

मारवाड़ मुंडवा, जिला - नागौर

About Us

श्री बड़माता मंदिर संस्थान, भड़ाना, नागौर (राज.)

इस संस्थान के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

            1. ओसवाल समाज के लोढा गोत्र की कुलदेवी श्री बड़माता के मन्दिर की देखभाल करना, वहाँ पर सेवा पुजा व जीर्णोद्वार का प्रबन्ध करना, व श्री बडमाता मन्दिर के पुर्ण विकास हेतु सभी कार्य करना/

            2. श्री बड़माता मन्दिर में आने वाले लोढा बन्धुओं के ठहरने व भोजन आदि की सब प्रकार की सुव्यवस्था करना/

            3. श्री बड़माता मन्दिर के अधीन सम्पुर्ण चल अचल सम्पति आदि की देखभाल करना तथा उनकी सुरक्षा व सब प्रकार की समुचित व्यवस्था करना/

            4. लोढा (ओसवाल) समाज की सामाजिक, नैतिक एवं आर्थिक स्थितियों को समुन्नत करना तथा एकता, स्नेह एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार करना/

            5. वे सभी कार्य कराना जो श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के द्वारा तय किये जाये/

            6. उपरोक्त उद्देश्यों की पुर्ति के लिये सभी आवश्यक कार्य करना/

            7. उपरोक्त उद्देश्यों की पुर्ति में कोई व्यक्तिगत स्वार्थ या लाभ निहित नहीं है/

            8. संस्थान परिसर एवं अन्यत्र चिकित्सा-शिविरों का जन-कल्याणार्थ आयोजन करना/

            9. जरुरतमंद छात्र-छात्राओं को छात्र-वृत्तियां प्रदत्त करना/

            10. गीत-भजन, खेल-कुद तथा वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन करना/

            11. मन्दिर संस्थान परिसर के बाहर से विहार कर रहे साधु-साध्वीयों के आहार-विहार, गोचरी, पानी आदि का प्रबन्ध करना एवं धर्म पुस्तको को अवलोकन हेतु  प्रस्तुत करना/

  1. परिभाषाऐं:-
  2.     (1) संस्थान- से तात्पर्य श्री बड़माता मन्दिर संस्थान ग्राम भडाणा (मारवाड मूण्डवा) जिला नागौर से हैं जिसका पंजीकरण अथवा रजीस्ट्रेशन कानून सम्मत होगा/
  3.      (2) नियम उपनियम- से तात्पर्य श्री बड़माता मन्दिर संस्थान द्वारा समय-समय पर बनाये गये नियमों व उपनियमों से हैं/
  4.      (3) सदस्यता- भारत व विदेश में बसे लोढा ओसवाल बन्धु जो बालिग हों, पागल व दिवालिया न हों, तथा किसी न्यायालय द्वारा घोषित अपराधी न हों और जो संस्थान के उद्देश्यों में रूचि व आस्था रखते हो और संस्था के हितों को सर्वोपरि समझते हों/
  5. सदस्यों की पात्रता:-
  6.    1. संस्थान के सदस्य: संस्थान के सदस्य का अभिप्राय ओसवाल समाज के लोढा गोत्र के उन सभी पुरुष/महिलाओं से हैं/जिनका सदस्यता शुल्क मात्र 501/- (अक्षरे पाँच सौ एक रुपये) होगा/ कार्यकारिणी चाहे तो शुल्क कम ज्यादा कर सकती हैं/

            2. सदस्यता से निष्कासन:-

निम्न कारणों से सदस्यता समाप्त हो जायेगी:-

1. मृत्यु होनें पर/

2. त्याग पत्र देने पर/

3. संस्थान के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर/

4. साधारण सभा द्वारा दोषी पाये जाने पर/

5. निष्कासन के विरुद्ध किसी भी व्यक्ति को निष्कासन के दो महिने के भीतर-भीतर साधारण सभा में अपील करने का अधिकार होगा तथा साधारण सभा का निर्णय अंतिम होगा/

  1. साधारण सभा:-

   संस्थान के सभी साधारण सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगें/

  1. अध्यक्ष:-

   अध्यक्ष से तात्पर्य श्री बडमाता मन्दिर संस्थान की कार्यकारिणी के अध्यक्ष से हैं/

 

  1. अध्यक्ष पद की अहर्ताए:-
  1. जो सदस्य लगातार दो कार्यकारिणीयों मे दायित्व पर रहा हो/
  2. नामांकन पत्र पर 10 प्रस्तावक एवं 10 समर्थको के हस्ताक्षर होने चाहिए, जो कम से कम 5 प्रांतो के निवासी हो/

 

  1. साधारण सभा, अधिकार एवं कर्तव्य:-

1. साधारण सभा, संस्थान की सर्वोच्च सभा होगी एवं संस्थान के सम्पूर्ण अधिकार उसमें निहित रहेंगे/

2. साधारण सभा की बैठक हर वर्ष अनिवार्य रूप से आसोज सुदी (शुक्ल पक्ष) दशमीं व चैत्र सुदी नवमी (शुक्ल पक्ष) को दिन में हवन आदि कार्यो से निवृत होने के बाद श्री बडमाता जी के मंदिर परिसर में होगी, जिसके लिए अलग से कोई सूचना प्रसारित करना अनिवार्य नहीं होगा/

3. यदि अध्यक्ष महोदय अन्य समय साधारण सभा की बैठक बुलाना आवश्यक समझे तो सभी सदस्यों को एक माह की सूचना देकर साधारण सभा बुला सकेंगे/

4. साधारण सभा के कोरम में कम से कम 50 सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी/ यदि कोरम पूर नहीं होता हैं तो मीटिंग स्थागित की जाकर आधा घंटे बाद बुलाई जा सकेगी, जिसमें कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी और वह मीटिंग वैधानिक समझी जावेगी/

5. साधारण सभा की कार्यवाही एक अलग पंजिका में अंकित की जायेगी/

6. साधारण सभा की प्रत्येक कार्यवाही आगामी बैठक में सुनाई जाकर उसकी पुष्टि होने पर चालू सभा के अध्यक्ष हस्ताक्षर करेंगे/

7. साधारण सभा की अध्यक्षता कार्यकारिणी के अध्यक्ष करेंगे/ उनकी अनुपस्थिति में वरिष्ठ उपाध्यक्ष या उपाध्यक्ष या उनके मौजूद न होने पर अन्य सदस्य भी अध्यक्षता कर सकेंगे/

8. श्री बडमाता मन्दिर संस्थान के अध्यक्ष का चुनाव सभी पंजीकृत सदस्यों द्वारा पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए किया जावेगा/

9. निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेवारी कार्यकारिणी की होगी/ कार्यकारिणी चुनाव हेतु नियम बनाकर चुनाव के पहले प्रकाशित करवाएगी व संस्थान के नोटिस बोर्ड पर लगाएगी/

10. यदि किसी कारण से अध्यक्ष पद पाँच साल के पहले रिक्त हो जाये, तो कार्यकारिणी अपनी अगली बैठक में अगले चुनाव होने तक के लिए एक कार्यवाहक अध्यक्ष मनोनीत करेगीं/

11. साधारण सभा हर वर्ष का अंकेक्षित लेखा-जोखा स्वीकृत करेगी/

12. साधारण सभा को किसी भी बकाया रकम को छोडना, माफ करना या Write Off  करने का पूर्ण अधिकार होगा/

13. साधारण सभा कार्यकारिणी द्वारा किये गये कार्यो व खर्च की समीक्षा कर पुष्टि करेगी/

14. साधारण सभा को वे सब कार्य करने का पूर्ण अधिकार होगा, जो वह उचित समझेगी/

15. साधारण सभा को विधान में संशोधन, परिवर्तन अथवा परिवर्द्धन करने का एकल अधिकार होगा/

16. प्रत्येक कार्यकाल के लिए आडीटर की नियुक्ति साधारण सभा करेगी/

17. अध्यक्ष व कार्यवाहक अध्यक्ष अगर मन्दिर का कार्य सुचारू रूप से चलाने में असक्षम हो तो साधारण सभा दो तिहाई बहुमत से उन्हे हटा सकती हैं/

18. अध्यक्ष का पद का दावेदार वही व्यक्ति होगा जो कम से कम 2 बार पूर्व कार्यकारिणी का सदस्य रहा हो/

    (11) अध्यक्ष, अधिकार व दायित्व:-

            निर्वाचित अध्यक्ष श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी इच्छा अनुसार निम्नलिखित कार्यकारिणी का चयन कारेंगे-

      1. वरिष्ठ उपाध्यक्ष -1

      2. उपाध्यक्ष-         7

      3. महामंत्री-          1

        4. मंत्री-             7

         5. कोषाघ्यक्ष-      1

      6. सदस्य-      23

               कुल= 40

      (नोट- अध्यक्ष अन्य गतिविधियो हेतु विभिन्न सदस्यो को दायित्व दे सकेंगे)

      7. उपरोक्त रूप से गठित की गई कार्यकारिणी की घोषणा अध्यक्ष, परिपत्र द्वारा एक सप्ताह में प्रकाशित कर देगें/

      8. अपनी कार्यकारिणी का चयन करते समय अध्यक्ष निम्न बातों का ख्याल रखेंगे:-

            1. इस बात का विशेष ध्यान रखेंगे कि उक्त कार्यकारिणी में जहां तक संभव होगा भारत के सभी प्रांतो का प्रतिनिघित्व हो/

            2. जहां तक संभव हो महिला समाज को प्रतिनिघित्व देकर उन्हे समाज के कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर आगे लावें/

            3. अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी मे 30 सदस्य जिन्होने मंदिर परिसर मे किसी भी निर्माण कार्य मे सहयोग किया होगा, बाकी 10 सदस्य साधारण सदस्यो मे से लिए जाएँगे/ (कार्यकारिणी सदस्यो मे से ही पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी)

      4. साधारण सभा व कार्यकारिणी का सभापतित्व करना/

      5. कार्यकारिणी सभा में बराबर मत होने पर निर्णायक मत देना/

      6. आवश्यकता पडने पर स्वीक्रत बजट के अलावा कुल 1,00,000 रुपये (अक्षरे एक लाख रुपये) तक खर्च करना, जिसको आगामी कार्यकारिणी सभा में स्वीकृत कराना/

      7. अपने कार्यकाल में अध्यक्ष  को कार्यकारिणी के पदाधिकारियों व सदस्यों में समय-समय पर फेर-बदल करने का पूर्ण अधिकार होगा तथा वह सभी को मान्य होगा/

      8. कार्यकारिणी तथा साधारण सभा की कार्यवाही पर हस्ताक्षर करना, पुष्टि करना तथा उन्हे क्रियान्वित करना/

      9. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान की सुचारू व्यवस्था के लिए आवश्यकतानुसार कर्मचारियो को नियुक्त करना तथा सेवा मुक्त करना/

      10. वार्षिक आय-व्यय का हिसाब चार्टर्ड एकांउटेन्ट से जाँच करवाना तथा उसे अकेंक्षित सभा में प्रस्तुत करवाना/

      11. वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने पर नये चुनाव की व्यवस्था कराकर अध्यक्ष का चुनाव करवाना/

      12. यदि किसी कारणवश अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा न हो सके तो ऐसी स्थिति में एक कार्यवाहक अध्यक्ष की व्यवस्था करना/ कार्यवाहक अध्यक्ष को वे सभी अधिकर प्राप्त होगें जो अध्यक्ष को होते हैं/

      13. आपातकालीन स्थिति पैदा होने पर कार्यकारिणी को भंग कर सम्पूर्ण कार्य अपने हाथ में  लेना और फिर स्थिति अनुकूल होने पर अन्य व्यवस्था करना/

      14. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक कदम उठाना तथा निर्देश देना/

      15. अध्यक्ष को अपने अधिकारों मे से सें जो भी उचित समझे वे अधिकार वरिष्ठ उपाध्यक्ष या उपाध्यक्ष को देने का अधिकार होगा/     

   (12) वरिष्ठ उपाध्यक्ष के अधिकार व दायित्व:-

अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरिष्ठ उपाध्यक्ष को अध्यक्ष के सभी अधिकार प्राप्त होंगे अथवा जो भी अध्यक्ष द्वारा अलग से उन्हे सौंपें जायेंगे/

    (13) उपाध्यक्ष के अधिकार व दायित्व:-

अध्यक्ष व वरिष्ठ उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष व वरिष्ठ उपाध्यक्ष के क्रमानुसार वे सभी अधिकार प्राप्त होंगे जो अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को थे/

 (14) महामंत्री के अधिकार व दायित्व:-

  1. सभी सभाओं की कार्यवाही को अलग-अलग पंजिकाओं में अंकित कराना/
  2. अध्यक्ष की आज्ञा से कर्यकारिणी व अन्य सभाओं की बैठकें बुलाना/
  3. खर्च के प्रत्येक वाउचर पर हस्ताक्षर कर कोषाध्यक्ष के पास भुगतान हेतु भेजना/
  4. कर्मचारियों के काम-काज की देखभाल करना व उचित व्यवस्था करना/ कर्मचारी ठीक से काम नही कर रहा हो अथवा चोरी करते पाया गया हो तो उसे अध्यक्ष की सहमति पर हटा सकेंगे व दन्डित कर सकेंगे/
  5. संस्थान की ओर से पत्र व्यवहार करना-कराना/
  6. आवश्यकता पडने पर स्वीकृत बजट के अलावा 1,00,000 रुपये (अक्षरे एक लाख) तक खर्च कर कार्यकारिणी से स्वीकृत कराना/
  7. अध्यक्ष की आज्ञा अनुसार नियम, उपनियम व कार्यकारिणी ब साधारण सभा के निर्णयों को कार्यांवित करना/
  8. सभी प्रकार के उचित रिकार्ड रखना, खासतौर से सदस्यों का रजिस्टर रखना/
  9. सभी प्रकार की उचित व्यवस्थाओं का समुचित प्रबन्ध करना/
  10. श्री बडमाता मन्दिर संस्थान के सम्पूर्ण चल अचल सम्पति के कागजातों , पत्रों, फाइलों, रिकार्ड आदि को सुरक्षित रखना/
  11. महामंत्री को अपने अधिकारों मे सेजो भी उचित समझे वे अधिकार मंत्री को देने का अधिकार होगा/

(15) मंत्री के अधिकार व दायित्व:-

 1.    महाम्ंत्री की अनुपस्थिति में मंत्री को महामंत्री के समस्त अधिकार प्राप्त होगें/

  1. कार्यकारिणी के समस्त कार्यों और निर्णयों को कार्यांवित करने मे पूर्ण सहयोग देना/
  2. अध्यक्ष व महामंत्री व कार्यकारिणी के आदेशानुसार सभी कार्य करना/
  3. आवश्यकता पडने पर स्वीकृत बजट के अलावा 25,000 रुपये (अक्षरे पच्चीस हजार) तक खर्च कर कार्यकारिणी से स्वीकृत कराना/

  (16) कोषाध्यक्ष के अधिकार व दायित्व:-

  1. आय-व्यय का हिसाब रख्ना/
  2. दैनिक व्ययों पर नियंत्रण रखना/
  3. प्राप्त रकमों की रसीद देना/
  4. लॉकर्स में रखे सामान का रिकार्ड रखना/
  5. संस्थान की चल व अचल सम्पति का पूरा ब्यौरा रखना/
  6. अध्यक्ष व महामंत्री द्वारा स्वीकृत प्रत्येक वाउचर का भुगतान करना/
  7. वार्षिक आय-व्यय का निर्धारित समय पर विवरण तैयार कर चार्ट्रर्ड एकाउंटेन्ट से अंकेक्षित करवाकर साधारण सभा के समक्ष प्रस्तुत करना/
  8. संस्था का कोष, प्राप्त शुल्क, निर्माण कार्य के लिए प्राप्त रकमें, भोजनशाला व अन्य व्यवस्थाओं के लिए प्राप्त रकमों से संचित होगा/
  9. उक्त प्रकार से संचित राशि राष्ट्रीयकृत बैंको में या पोस्ट ऑफिसो में श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के नाम से खाते व लॉकर खुलवाकर सुरक्षित की जायेगी/
  10. अध्यक्ष, महामंत्री व कोषाध्यक्ष मे से किन्ही दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षरों से ही बैंकों से लेन-देन होगा/
  11. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के हित में, तथा कार्यों व समय की आवश्यकतानुसार निम्न पदाधिकरी स्वीकृत बजट के अलावा संस्था की निम्नलिखित राशि एक मुश्त स्वीकृत कर सकेंगे/
  1. अध्यक्ष                        1,00,000 रुपये           
  2. महामंत्री           1,00,000 रुपये
  3. कोषाध्यक्ष         50,000  रुपये
  4. मंत्री                  25.000  रुपये

उपरोक्त राशि स्वीकृत बजट के अलावा होगी और कार्यकारिणी से स्वीकृत कर दी जायेगी, जिसका अनुमोदन अगली कार्यकारिणी सभा मे कराया जायेगा/

  1. श्री बडमाता मन्दिर संस्थान के समस्त लेखे-जोखों का वार्षिक अंकेक्षण कराया जायेगा/ लेखाकाल प्रतिवर्ष 1 अप्रैल से प्रारम्भ होकर 31 मार्च को समाप्त होगा/

 (17) विविध:-

    1. प्राप्त होने वाली प्रत्येक रकम व वस्तु की छपी हुई रसीद अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के द्वारा जारी की जावेगी/

      2. रोकड पोते में पचास हजार रुपये से अधिक रकम नहीं रखी जा सकेगी/ अधिक रकम बैंकं मे जमा करानी होगी/

      3. वह रकम जो चालू कार्यों के अतिरिक्त इकट्ठी होगी वह किसी मूण्ड्वा स्थित नेशनलाइज्ड बैंक़ं व भारत सरकार द्वारा अधिकृत उपक्रमों में जमा कराई जावेगी/ विशेष परिस्थिति में कार्यकारिणी दूसरी बैंकों में रकम जमा करा सकेगी/

          4. कोई भी चल सम्पति विक्रय कार्यकारिणी सभा की स्वीकृति के बिना नही किया जा सकेगा/

5. कोई भी अचल सम्पति को कमेटी निर्णय लेकर क्रय कर सकेगी और उसका अनुमोदन साधारण सभा से करायेगी/

6. मन्दिर में गुप्त दान हेतु जो भी पेटीयां रखी जाएंगी, वे अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महामंत्री मंत्री,  कोषाध्यक्ष तथा पदाधिकारियों में से किसी दो के नाम के चेपे लगाकर सील की जाएगी/ ये पेटियां हर माह में पदाधिकारी व किन्ही भी उपस्थित व्यक्तियों के रूबरू खोली जावेगी/ जो रकम निकलेगी उसकी रसीद कटवा कर कोषाध्यक्ष के सुपुर्द की जावेंगी/ ये पेटियां दो तालों वाली रखी जावेगी जिसके एक ताले की चाबी कोषाध्यक्ष व दूसरे ताले की चाबी अध्यक्ष या महामंत्री के पास रहेगी/

7. सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज हर प्रकार से सुरक्षित एक लोहे की डबल लॉक वाली अलमारी मे रखे जाएँगे, जिसकी एक चाबी महामंत्री व दूसरी चाबी अध्यक्ष के पास रहेगी/

8. कार्यकारिणी की अनुमति से अध्यक्ष व महामंत्री य अधिकृत व्यक्ति को संस्थान के हित के लिए संस्थान की ओर से तमाम सरकारी व कानूनी कार्यवाही, दावे इत्यादि करने का अधिकार होगा एवं संस्थान पर की गई कानूनी या किसी अन्य प्रकार की कार्यवाही की उचित जवाबदेही कर संस्थान के हितो की रक्षा करने का अधिकार होगा/

9. यदि किसी व्यक्ति की कोई समस्या हो तो अध्यक्ष को सुचित कर सकेगा व अध्यक्ष उचित हुआ तो उसको उत्तर भेज सकेगा/

10. किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही या उर्ज के लिये नागौर न्यायालय ही मान्य होगा/

(18)    कार्यकारिणी के अधिकार तथा कार्य:-

1. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान की प्रत्येक कार्यकारिणी का सेवाकाल पाँच वर्ष का होगा और वह अध्यक्ष के सेवाकाल के साथ जुडा रहेगा/ अध्यक्ष अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष समय-समय पर कार्यकारिणी को फेरबदल कर सकेगें/

2. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान की सम्पूर्ण चल अचल सम्पति की उचित ढंग से देखभाल करना व उसे सुरक्षित रखनें का पूर्ण दायित्व कार्यकारिणी पर होगा और वह इस विधान के उद्देश्यों को कार्यांवित करनें की समुचित व्यवस्था करेगी/

3. श्री बड़माता मन्दिर और उसके प्रांगण की सम्पूर्ण व्यव्स्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए हर आवश्यक कार्य कर सकेगी/

4. निर्वाचन सम्बन्धी नियम व उपनियम बना सकेगी और उसके अनुसार निर्वाचन करायेगी/

5 आय-व्यय का लेखा-जोखा व अंकेक्षण् करायेगी/

6. श्री बड़माता मन्दिर के समस्त कार्यों के संचालन हेतु आवश्यकतानुसार अर्थ व्यवस्था करेगी/ किसी प्रकार का ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगी/

7. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के हितों की रक्षा के लिए हर प्रकार की कानूनी कार्यवाही करने मे पूर्ण सक्षम होगी/

8 कार्यकारिणी की बैठकें एक वर्ष में कम से कम तीन बार अथवा आवश्यकतानुसार अधिक बार बुलाई जा सकेगी/

9. कार्यकारिणी की हर बैठक में सदस्य संख्या का एक तिहाई कोरम होना अनिवार्य होगा, पर अगर कोरम नहीं होता हैं, तो बैठक स्थगित कर आधे घण्टे के बाद वापिस बुलाई जा सकेगी जिसमें कोरम की आवश्यकता नही होगी और ऐसी बैठक पूर्ण रूप से वैधानिक होगी/

10. यदि अध्यक्ष महोदय उचित समझेगे तो किसी भी लोढा बन्धु (पुरुष व महिला) को विशेष रूप से कार्यकारिणी की बैठक में आमंत्रित कर सकेंगे/

11. कार्यकारिणी के पुर्व अध्यक्ष वर्तमान कार्यकारिणी में विशेष रूप से आमंत्रित सदस्य रहेंगे/

12. हर वर्ष प्रत्येक छ: माह का बजट चेत्र और आसोज की साधारण सभा में प्रस्तुत करेगी और उसके अनूरूप काम करेगी/

13. मन्दिर प्रांगण में कार्यकारिणी की स्वीकृति के बिना कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा/

14. कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारी और सदस्य अवैतनिक होगे एवं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से श्री बड़माता मन्दिर संस्थान की सम्पति से किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ उठा नही सकेगें/

15. प्रत्येक पदाधिकारी एक ही पद लगातार दो कार्यकाल तक रहने के पश्चात तीसरी बार उसी पद पर नहीं रह सकेगे/

(19) विधान में संशोधन या परिवर्तन:-

1. श्री बड़माता मन्दिर संस्थान के विधान में आवश्यकतानुसार परिवर्तन, परिवर्धन अथवा संशोधन साधारण सभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से किया जा सकेगा जो राजस्थान रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 के प्रावधानों के अनुसार होगा/

2. श्री बड़माता मन्दिर की व्यवस्था से संबंधित आज से पह्ले जो भी संविधान, ट्रस्ट, डीड आदि यदि हों, तो उपरोक्त सभी दस्तावेज इस विधान द्वारा निरस्त समझे जयेंगे तथा प्रभावहीन होंगे/

(20) संस्थान का विघटन:-

यदि श्री बड़माता मन्दिर संस्थान का विघटन आवश्यक हुआ तो राजस्थान रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 के प्रावधानों के अनुसार होगा और संस्थान की समस्त चल अचल सम्पति लोढा ओसवाल समाज के समान उद्देश्यों वाली संस्था को हस्तारिंत कर दी जावेगी/

 

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श्री बड़माताजी मंदिर संस्थान, भड़ाणा, मारवाड़ मुंडवा, जिला - नागौर, पिन - 341026.

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